कुछ यूँ मैंने तुम्हें चाहा...
कुछ यूँ मैंने तुम्हें चाहा,
सारी दूरियों को मिटाना चाहा,
सारी खुशियाँ तुम्हें देना चाहा,
हर ग़म तुम्हारे बाटना चाहा,
कुछ नए रिश्ते बनाना चाहा,
हस्ते हुए तुम्हें हर पल देखना चाहा,
सारे गिले-शिक्वे मिटाना चाहा,
कुछ मीठी यादें देना चाहा,
इस दिल ने बस तुम्हें पाना चाहा,
तुम्हारे और करीब आना चाहा,
कुछ ख़ुशी के पल बिताना चाहा,
तुम्हारा साथ निभाना चाहा,
चाहो तुम भी मुझे, बस यही चाहा,
तुम्हारे दिल में थोडी सी जगह बनाना चाहा,
कुछ यूँ तुम्हें अपना बनाना चाहा,
दिल कि उमंगों को अंजाम देना चाहा,
अपने दिल कि बात तुम्हें बताना चाहा,
अपनी चाहत को और बढ़ाना चाहा,
तुम्हारे लिए हर हद पार कर जाना चाहा,
तुम्हें मुझसे मोहब्बत हो जाये, बस यही चाहा,
तुम्हारे दिल और आँखों में खुद को देखना चाहा,
कैसे समझाऊँ इस दिल को कि तुम्हें कितना चाहा?
अब ज़रा तुम ही बताओ, मैंने क्या गलत चाहा?
बस कुछ यूँ मैंने तुम्हें चाहा!!!
©2009: Ashish Ranjan
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kya hua bhai shayar bhe ban gaya acc ke intezaar mein ...mast hai
ReplyDeletethanks for appreciating... but its a composition for some special! :) and not in love with accenture!
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