Friday, May 08, 2009

Dreams, sounds interesting to you, me too! Here you go...


My definition of dream gives it a higher priority- Life without dreams cannot be thought of!

We alias it as desire, imagination, even as wings that help one reach heights that one cannot think of as well!
Here's a small composition by me on this beautiful theme:


ना जाने क्या होते हैं सपने,
ज़िन्दगी के नए रंग दिखाते हैं सपने,
कभी-कभी, दिल की बात कह जाते हैं सपने,
दिल में उमंगें जागते हैं सपने!


सुनहरे ख्वाब दिखाते हैं सपने,
उन्हें पाने की चाह जगाते हैं सपने,
किसी के लिए दिल में जगह बनाते हैं सपने,
फिर उन्हें दिल में बिठाते हैं सपने!


उन्हें अपना बनाते हैं सपने,
अपना बना कर, हम फिर से सजाते हैं सपने,
और सपनों में ही बुनते जाते हैं सपने!


हर सपने को पूरा कराते हैं सपने,
हर सपने दिल में उतर जाते हैं अपने,
क्यूँ होता है ऐसा ??
क्या बताएं तुम्हे-
सपने तो बस होते हैं सपने !

©2009: Ashish Ranjan

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Thursday, May 07, 2009

Kuch yun maine tumhe chaha...



कुछ यूँ मैंने तुम्हें चाहा...



कुछ यूँ मैंने तुम्हें चाहा,
सारी दूरियों को मिटाना चाहा,
सारी खुशियाँ तुम्हें देना चाहा,
हर ग़म तुम्हारे बाटना चाहा,
कुछ नए रिश्ते बनाना चाहा,
हस्ते हुए तुम्हें हर पल देखना चाहा,
सारे गिले-शिक्वे मिटाना चाहा,
कुछ मीठी यादें देना चाहा,
इस दिल ने बस तुम्हें पाना चाहा,
तुम्हारे और करीब आना चाहा,
कुछ ख़ुशी के पल बिताना चाहा,
तुम्हारा साथ निभाना चाहा,
चाहो तुम भी मुझे, बस यही चाहा,
तुम्हारे दिल में थोडी सी जगह बनाना चाहा,
कुछ यूँ तुम्हें अपना बनाना चाहा,
दिल कि उमंगों को अंजाम देना चाहा,
अपने दिल कि बात तुम्हें बताना चाहा,
अपनी चाहत को और बढ़ाना चाहा,
तुम्हारे लिए हर हद पार कर जाना चाहा,
तुम्हें मुझसे मोहब्बत हो जाये, बस यही चाहा,
तुम्हारे दिल और आँखों में खुद को देखना चाहा,
कैसे समझाऊँ इस दिल को कि तुम्हें कितना चाहा?
अब ज़रा तुम ही बताओ, मैंने क्या गलत चाहा?
बस कुछ यूँ मैंने तुम्हें चाहा!!!


©2009: Ashish Ranjan


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Thursday, February 19, 2009

Dil se...

दिल से...

दिल से निकली हर बात,
तुम तक पहुचाई इन हवाओं ने,
वो बात जो ज़ुबां पर ना आई,
तुम तक पहुचाई इन निगाहों ने


तुम अगर पढ़ सको,तो पढो इन निगाहों को,
देखो और समझो उन बातों को,
जो आती हैं नज़र, साफ़ इन निगाहों में


हर आहट पर लगता है, कि तुम हो,
हर मुस्कराहट में लगता है, कि तुम हो,
हर तरफ, बस ये लगता है, कि तुम हो,
क्यूंकि दिल में मेरे, बस तुम ही तो हो


आँखें जब भी बंद करोगी,
तुम मुझे ही अपने चारों ओर पोगी,
सारी दुनिया जैसे तुम्हारे पास सिमट सी जायेगी,
अब ये तो बताओ, मुझे कब तक तरसाओगी?


अब आ भी जाओ, मेरे पास,
कभी तो वक़्त गुज़रो, हमारे साथ,
साथ रहो तुम तो ज़रा चैन आ जाए,
ऐसा हर वो लम्हा खुशनुमा हो जाए

©2009: Ashish Ranjan


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