दिल से...
दिल से निकली हर बात,
दिल से निकली हर बात,
तुम तक पहुचाई इन हवाओं ने,
वो बात जो ज़ुबां पर ना आई,
तुम तक पहुचाई इन निगाहों ने
तुम अगर पढ़ सको,तो पढो इन निगाहों को,
तुम अगर पढ़ सको,तो पढो इन निगाहों को,
देखो और समझो उन बातों को,
जो आती हैं नज़र, साफ़ इन निगाहों में
हर आहट पर लगता है, कि तुम हो,
हर आहट पर लगता है, कि तुम हो,
हर मुस्कराहट में लगता है, कि तुम हो,
हर तरफ, बस ये लगता है, कि तुम हो,
क्यूंकि दिल में मेरे, बस तुम ही तो हो
आँखें जब भी बंद करोगी,
आँखें जब भी बंद करोगी,
तुम मुझे ही अपने चारों ओर पोगी,
सारी दुनिया जैसे तुम्हारे पास सिमट सी जायेगी,
अब ये तो बताओ, मुझे कब तक तरसाओगी?
अब आ भी जाओ, मेरे पास,
अब आ भी जाओ, मेरे पास,
कभी तो वक़्त गुज़रो, हमारे साथ,
साथ रहो तुम तो ज़रा चैन आ जाए,
ऐसा हर वो लम्हा खुशनुमा हो जाए
©2009: Ashish Ranjan
©2009: Ashish Ranjan
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